1). हितग्राही को आवंटित विकसित प्लाट के लिए 50 पैसे प्रतिवर्ग फुट प्रतिमाह की दर से भूखंड आवंटित किये जायेंगे | इसका भुगतान उसे उसी माह की 10 तारीख तक अनिवार्य रुप से करना होगा । उक्त अवधि के उपरांत देय राशि पर 18 प्रतिशत वार्षिक दर से प्रतिदिन ब्याज लिया जायेगा । किरायानामा 11 माह के लिए निष्पादित किया जायेगा तथा कार्य समीक्षा उपरांत पुनः आवंटन हेतु निष्पादित किया जावेगा ।
2). हितग्राही पर 3 माह की अवधि का किराया शुल्क बकाया होने पर आवंटन निरस्त किया जा सकेगा । तथा बकाया किराये की ब्याज सहित राशि हितग्राही की सुरक्षा निधि से ली जाएगी | यदि हितग्राही सम्पूर्ण देय राशि ब्याज सहित एकमुश्त अदा करता है तो आवंटन अधिकांश सामान्य प्रब्याजि की 18 प्रतिशत राशि लेकर आवंटन पुनः निरन्तर कर सकेगा ।
3). हितग्राही को आवंटित प्लाट का किराया निर्माण कार्य हेतु शुरु करने के माह से देय होगा तथा हितग्राही को किसी भी परिस्थिति में निर्माण कार्य आवंटन दिनांक से 6 माह की अधिकतम समय-सीमा में पूर्ण करना होगा । अन्यथा की स्थिति में आवंटित प्लाट निरस्ती योग्य होगा ।
4). समय-समय पर की जाने वाली पुनरीक्षित दर अनुरुप हितग्राही द्वारा प्लाट किराया, की राशि का भुगतान हितग्राही को करना होगा ।
5). हितग्राही पर बकाया, प्लाट किराया अथवा आवंटन अधिकारी द्वारा अन्य आरोपित देय राशियां, बकाया राशि की वसूली के समान वसूली योग्य होगी ।
6). हितग्राही को जिस प्रयोजन के लिए प्लाट का आवंटन किया गया है उसी गतिविधि को किराये की अवधि में निरन्तर संचालित करेगा । यदि उसके द्वारा निरन्तर 6 माह तक गतिविधि का संचालन नहीं किया जाता है अथवा इकाई बंद रखी जाती है तो उसे आवंटित प्लाट निरस्त योग्य होगा तथा उसके द्वारा जमा की गई राशि राजसात की जायेगी । तथा हितग्राहियों को ब्लैकलिस्ट किया जायेगा
7). आवंटित प्लाट का पूर्ण उपयोग करने, अन्तरण करने, आवंटन निरस्तीकरण एवं अपील करने आदि मामलों में वर्णित प्रावधान का पालन करना अनिवार्य होगा । अन्यथा आवंटन अधिकारी निरस्तीकरण की कार्यवाही कर सकेगा ।
8). हितग्राही विकसित प्लाट को सुरक्षित रखेगा एवं उसके रख-रखाव व मरम्मत के कार्य कर उसे उत्तम स्थिति में बनाये रखेगा ।
9). हितग्राही द्वारा प्लाट आवंटन के प्रकरणों में शेड एवं पशुओं का बीमा कराना अनिवार्य होगा तथा वह बीमा राशि भुगतान की रसीदें अपने पास सुरक्षित रखेगा तथा रसीद की एक छायाप्रति विभाग को देगा ।
10). आवंटित परिसर में पर्यावरण संरक्षण हितग्राही का दायित्व होगा । वह ऐसा कोई कार्य नहीं करेगा जिससे कि पर्यावरण को क्षति पहुंचे ।
11). हितग्राही गतिविधि संचालन हेतु मध्यप्रदेश शासन के विभिन्न विभागों द्वारा निर्धारित नियमों/ प्रक्रियाओं का पालन करेगा तथा आवंटित परिसर में किसी भी प्रकरण की दुर्घटनाओं पर हो रहे नुकसान की भरपाई आवंटी विभाग द्वारा देय नहीं होगी । इसकी पूर्ण जिम्मेदारी हितग्राही की होगी ।
12). हितग्राही को अपने एक उत्तराधिकारी को किरायानामा में नामांकित करने की सुविधा प्राप्त होगी । हितग्राही की मृत्यु होने की दषा में नामांकित व्यक्ति स्वमेव प्लाट की शेष अवधि के लिए हितग्राही मान्य होगा । हितग्राही को अधिकार होगा कि स्थायी विकलांगता एवं असाध्य रोग से ग्रसित होने की दषा में वह स्वेच्छा से अपने जीवनकाल में भी नामांकित व्यक्ति को हितग्राही मान्य करने हेतु आवंटन अधिकारी को आवेदन कर सकेगा ।
13). हितग्राही विभाग द्वारा अधिकृत व्यक्ति को आवंटित परिसर में प्रवेश करने से नहीं रोकेगा तथा अधिकृत व्यक्ति द्वारा लिखित में मांगी गयी समस्त जानकारियाॅं उपलब्ध कराएगा ।
14). हितग्राही पारिवारिक या अन्य कारणवश अपना कार्य सुचारु रुप से संचालित करने में असमर्थ रहता है तथा स्वेच्छा से इकाई छोड़ने के लिए आवंटन करता है तो ऐसी स्थिति में उसके द्वारा लगाई गई धनराशि का भुगतान सभी गणना करने के बाद नये आवंटी (वेटिंग लिस्ट में चयन किये हुए हितग्राही से) प्राप्त कर भुगतान किया जायेगा ।
15). यदि हितग्राही अपना कार्य सुचारु रुप से नहीं करता है एवं तीन माह तक समझाईश के बाद भी कोई प्रगति नहीं करता है, तो उसे कार्य में सुधार के लिए दो सप्ताह का समय दिया जायेगा । चेतावनी के बाद भी यदि कोई प्रगति नहीं होती है तो उसके निष्कासन का प्रकरण प्रोजेक्ट संचालन समिति (पी.एम.सी.) के समक्ष रखा जायेगा । पी.एम.सी. का निर्णय अंतिम एवं बंधनकारी होगा ।
16). किरायानामा में ऐसे संशोधन हेतु जिसके लिये कोई शुल्क या प्रब्याजि राशि निर्धारित नहीं है, रु. 1,000/- संशोधन शुल्क होगा ।
17). किसी भी प्रकार की वाद-विवाद की स्थिति निर्मित होने पर न्यायालयीन क्षेत्र जबलपुर होगा ।
18). विवाद की स्थिति में प्रबंध संचालक, म.प्र. राज्यपशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम, भोपाल द्वारा लिया गया निर्णय/ आदेश उचित होगा, जिसके विरुद्ध अपील प्रमुख सचिव, मध्यप्रदेश शासन, पशुपालन विभाग को की जावेगी ।
19). डेयरी स्टेट के सुचारु संचालन हेतु उपरोक्त नियम एवं शर्तों में आवश्यकतानुसार संशोधन करने का पूर्ण अधिकार मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम का होगा ।